ऋग्वेद में गोमांस भक्षण
अक्सर ये देखा जाता है की गौमॉस पर लोग लम्बी चौड़ी बाते करते है हमारे मज़हब को गलत कहते है मैने उनको कई बार जवाब भी माकूल दिया है मै एक दिन इसपर अध्यन कर रहा था की अचानक मुझे एक ऐसा मौका मिला ऐसे लोगो को जवाब देने का जिसे मै खोना नहीं चाहता था मुझे गोमास भक्षण का सबूत मिल गया है रिग्वेद में गौमांस भक्षण तक का उदहारण आया है आप खुद देखिये यहाँ मै उचित शब्दार्थ के लिए
द कम्पलीट वर्क आफ स्वामी विवेकानंद . वोल्यूम 3 को शाक्षी रख कर अपनी बाते रख रहा हु जिसके पृष्ट संक्या 174, और ५३६ का वर्णन कर रहा हु जिसमे महान हिन्दू धर्म के स्वामी विकेकानन्दजी ने ऋग्वेद का वर्णन किया है
"उक्षणों ही में पंचदंश साकं पंचंती: विश्तिम् |
उताहंमदिंम् पीव इदुभा कुक्षी प्रणन्ती में विश्व्स्मान्दिन्द्र ||" (उत्तर ऋग्वेद 10-86-14 )
अर्थात :- इन्द्राणी द्वारा प्रेरित यज्ञकर्ता मेरे लिए 15-30बैल काटकर पकाते है , जिन्हें खाकर मै मोटा होता हू |वे मेरी कुक्षियो को सोम (शराब ) से भी भरते है | (ऋग्वेद 10-86-14 )
यहाँ धयान दीजियेगा की बैल को पका कर खाने का वर्णन है बैल नरगए को कहते है न यानि गोमाता के पति या पुत्र को
"मित्र कूवो यक्षसने न् गाव: पृथिव्या |
आपृगामृया शयंते ||" (ऋग्वेद 10-89-14 )
अर्थात :- हे ! इन्द्र जैसे गौ वध के स्थान पर गाये कटी जाती है वैसे ही तुम्हारे इस अस्त्र से मित्र द्वेषी राक्षस कटकर सदैव के लिए सो जांए |(ऋग्वेद 10-89-14 ) यहाँ धयान दे की गोवध की बात कही गयी है
"आद्रीणाते मंदिन इन्द्र तृयान्स्सुन्बंती |
सोमान पिवसित्व मेषा ||"
"पचन्ति ते वषमां अत्सी तेषां |
पृक्षेण यन्मधवन हूय मान : ||" (ऋग्वेद 10-28 -3 )
अर्थात :- हे ! इन्द्र अन्न की कमाना से तूम्हारे लिए जिस समय हवन किया जाता है उस समय यजमान पत्थर के टुकडो पर शीघ्रताशीघ्र सोमरस (शराब ) तैयार करते है उसे तुम पीते हो ,यजमान बैल पकाते है और उसे तुम खाते हो | (ऋग्वेद 10-28-3 )
यहाँ धयान दीजिये की केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि आपके इन्द्र भगवन भी गौमांस भक्षण करते है
अब आप निर्णय करो की स्वामी जी ने गलत लिखा है या सही मै तो कहूँगा की स्वामी जी ने एकदम सत्य लिखा है और उनकी बातो का समर्थन करता हु आप बताए