इस विदेशी अध्ययन को अगर भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखा जाए तो यहां वैवहिक संबंध में उम्र का महत्व कहीं अधिक है. इसके पीछे जो पारिवारिक मान्यताएं हैं, भले ही वह थोड़ी रुढ़िवादी प्रतीत होती हों, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर भी इस व्यवस्था को तर्क संगत करार दिया गया है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि लड़कियां, लड़कों की अपेक्षा शारीरिक और मानसिक रूप से जल्दी परिपक्व हो जाती हैं. एक औसत 20 साल की लड़की की सोचने-समझने की क्षमता एक 25 साल के लड़के के बराबर होती है. ऐसे में अगर वैवाहिक दंपत्ति समान आयु के होते हैं तो निश्चित तौर पर उनके बीच सामंजस्य बैठ पाना कठिन हो सकता है.