दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो चला था. जापान को आत्मसमर्पण किए हुए अभी तीन दिन हुए थे. 18 अगस्त 1945 को सुभाष बोस का विमान ईंधन लेने के लिए ताइपे हवाई अड्डे पर रुका था.
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दोबारा उड़ान भरते ही एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी थी. बोस के साथ चल रहे उनके साथी कर्नल हबीबुररहमान को लगा था कि कहीं दुश्मन की विमानभेदी तोप का गोला तो उनके विमान को नहीं लगा है.
बाद में पता चला था कि विमान के इंजन का एक प्रोपेलर टूट गया था. विमान नाक के बल ज़मीन से आ टकराया था और हबीब की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था.