मंत्र :- ॥ भभूत माता भभूत पिता भभूत वीर बेताल उड़ री काली जोगिनी अमुक के तन को लाग, न करे खड़ी सुख न करे बैठी सुख जब तक न देखे मेरा मुख, मन कबूतर हो रहा घेरा पड़ा यासीन का मकसद
マントラ - 。 भभूत माता भभूत पिता भभूत वीर बेताल उड़ री काली जोगिनी अमुक के तन को लाग, न करे खड़ी सुख न करे बैठी सुख जब तक न देखे मेरा मुख, मन कबूतर हो रहा घेरा पड़ा यासीन का मकसद